Zakir Khan - Mai shunya pe sawaar hoon
मै शून्य पे सवार हूँ, बेअदब सा मैं खुमार हूँ अब मुश्किलों से क्या डरु, मैं खुद कहर हज़ार हूँ की ऊंच नींच से परे, मजाल आँख में भरे मैं लड़ पड़ा हूँ रात से मशाल हाथ में लिए ना सूर्य मेरे साथ है, तो क्या नई ये बात है वो शाम को ही ढल गया, वो रात से था डर गया मैं जुगनुओ का यार हूँ, मैं शून्य पे सवार हूँ ~ Zakir Khan